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अक्टूबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

लोग तो कुछ ना कुछ कहेंगे,log tho kuch na kuch kahenge

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       लोग तो कुुुछ न कुुुछ कहेेंगे      तुझ पर इल्ज़ाम ही मढते रहेगे।      नज़रअंदाज़ करके तू बढ आगे      वो दुनिया की नज़रो में गिराते रहेगें।।     जगा ले चाहे तू लाँख उम्म़ीद के दिये      उनकी ऑखों में सदा चुभते रहेगें।      जो भटककर तू दूर हो मंज़िलो से      वो ऐसी साजिश बार बार करते रहेंगे।।      इनकी परवाहो से तू कभी न डर      गाँठ बाँधकर कह खुद की रूह से।      मुट्ठी तानकर हमेशा आगे ही बढ़ेंगे      तुम कुछ करो या न करो भी अगर      फ़िर भी वो न जाने क्या क्या कहेंगे।।      दूसरो की फ़िजूल भरी बातों-2 से      थोड़ा भी तू डगमगाया जो अगर।      मुकामो के फ़लक छूने की बात छोड़ो      तो तुम ज़मीन पर भी खड़े न हो पाओगे।। Reference of context - this poem convey the message to innocent people, who want to do new things in their life, but m...

चाँदनी रातों में मंसूरी मासूम सी दुल्हन दिखती है,Chandni Raato mein Mussoorie Masum se Dulhan Dikhtee Hai

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    मेरे छत्त के अहाते से     ढलती साँज़ से होती चाँदनी रातों में     जिस छोर से हवाओं की खुशबू आती है     नज़रे ठहरती है उसे चमकते टीले पर     वो मंसूरी सवरती हुई दुल्हन दिखती हैं     उसकी आँचल के शीतल झोंके     मेरे बोझिल मन को हल्का सा करती है     हवाओं की सरसराहट की कानों में गुंजन     दिल को छूने वाली संगीत बनाती है     चाँद सज़ा ऐसे तेरे दमकते मुकुट तले     दुल्हन के माँथे की कुमकुम बनाती है     मधहोश रात की गुमसुम गहराईयो में     इतराती अदाओ से मुझको रिझाती है     ऑखे निहारती तुझको जैसे-2 रात भर     रूह में उतरकर तू मेरी परछाई बनाती है     रोशनी की टिमटिम संग तेरी अठखेलियाँ     सजती  दुल्हन का निखरा रूप बनाती है     फ़लक तले चाँद सितारों के क़ाफिलो संग     मंसूरी तनहाई में मेरी महफ़िल बनाती है     मेरे दिल की रुदालियो को दूर जो करके     तू ही तो मेरी नज़रो का झरोखा बना...

कि कोई ऐसा साथ हो,ki koyi aasa saath ho

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      कि कोई ऐसा शक़्स हो      जो हर पल तुम्हारे साथ हो।      कोई ऐसा तो अक्स हो      जो तुम्हारे लब्ज़ो के साथ हो।।      तुम कुछ भी न कह पाये जब      तो तुम्हारे चेहरे को पढ़ जाये वो।      छुपा लो अगर चाहे लाख ग़मो को      तुम्हारे दर्द को देखने वाली आँखे हो।।      बुझने लगे जब तेरी उम्मीदों के दिये      तो अंधेरे को मिटाने वाली चिराग़ हो।      कभी चकाचौंध में जो तुम भटकने लगे      वो सही राह दिखाने वाला रहनुमा हो।।      टूटकर बिखर जाओ जो कभी तुम      वो सुलगती सी आग का आगाज़ हो।      जब सारा ज़माना हो जाये एक तरफ      पर फ़िर भी वो तुम्हारे ही साथ हो।।      कोई कहे जब तुम्हें बुरा सा ही बुरा      वो उनके लिए पैनी सी तलवार हो।     ओझल न हो जिसमें अहसासों की महक़     वो सदाबहार सा फ़ूल तुम्हारे पास हो।...

तुम ज़िन्दगी की दोड़ भाग में,Tum Zindagi ke dhor bhaag mein

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    तुम ज़िन्दगी की दोड़-भाग में     कब तक मुझे ज़ेहन में याद रखोगे।     शोहरत दोलत पाने की होड़ में     मेरे अक्स को लम़्हो में ही भूल जाओगे।।     आज़ दोस्ती है जो दिल की ज़मीन पर     क्या आख़िरी साॅसो तक निभाओगे।     तक़दीर से पहुचे जो तुम मुकामो के फ़लक पर     हैसियत की बदलियों में मुझे दोस्त कहने में शर्माओगे।।     हाथ जो थामाँ तुम्हारा बचपन की गलियों से     चले थे हम तुम एक साथ नया कारवाँ बनाने में।     छूट जाँऊ अगर क़िस्मत से तुम से पीछे     तुम कब तक छूटते हाथो को खींच पाओगे।।     तुम ज़िन्दगी की झुलसती सी धूप में     कब तक मेरे घावों का लेप बन जाओगे।     मन के उफ़नते तूफानो में माँगूगा सुकून के चंद पल     तो तुम मुझे एक लम़्हा भी न दे पाओगे।।      ये लेखक की अपनी  मौलिक रचना है। इसे किसी भी रूप में इसका किसी भी प्रकार audio,video,print etc माध्यम से या इसके किसी भी भाग को तोड़ मरोड़कर प्रकाशित करने पर...

मतलब भर के रिश्ते,Maatlabh bher ke rishte

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     खुद केे ग़मो की सुुध न करने से     दूसरे के सुकून ज़माने को चुभने लगे।     लोग अब लब्ज़ो की मीठी छुरियो से     अपनो को ही दग़ा न जाने क्यों देने लगे।     मतलब भर से ही सब रिश्ते बनने लगे     मासूम बस शतरंज के मुहरे बन पिटने लगे।      ये लेखक की अपनी  मौलिक रचना है।  इसे किसी भी रूप में  इसका किसी भी प्रकार audio,video,print etc माध्यम से  या इसके  किसी भी भाग को तोड़ मरोड़कर प्रकाशित  करने पर  कड़ी  कानूनी कार्रवाई की जायेगी।  All right reserved.No part of this content  may  not copied,reproduce,adapted .  In any way print  electronic audio video etc medium , Under  copyright act           

ज़िन्दगी के चोराँहो पर,Jindagi ke chauraho par

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    ज़िन्दगी के चोराँहो पर     भटक जाये कभी तू अग़र।     कोन रास्ता है तेरी मंज़िलों का     इस क़श्मकश में टूट जाये अगर।।     सही ग़लत की उलझनो में फसकर     तुझे ज़िन्दगी बोझ लगे अगर।     तो जद्दोजहद से दूर ज़रा होकर     कुछ लम़्हो के लिए ज़रूर ठहर।।     लेट जा ज़मीन को बिछोना बनाकर     नीले आसमाँ को ऑखो से निहारकर।     चंद लम़्हो के लिये पलके बन्द कर     खुद धड़कती आवाज़ो को सुनकर।।     रूह से निकली आगाज़ को महसूस कर     जो तेरे भ्रमो के बादलो को हटा देगी।     तेरी मंज़िलो का रास्ता ज़रूर दिखायेगी     कभी य़कीन मानकर बस ऐसा तो कर।।      वैधानिकचेतावनी। इस कविता का किसी भी रूप में  ऑडियो, वीडियो , किसी भी रूप में व्यावसायिक उपयोग हेतु लेखक की  अनुमति अनिवार्य है। under copyright act  KULDEEP singh negi confidential ये लेखक की अपनी  मौलिक रचना है। इसे किसी भी रूप में  इसका किसी भी प्रकार aud...

हो गयी तू किसी ग़ैर की, फिर भी न जाने अपनी सी लगी

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    हो  गयी तू किसी ग़ैैैैैैैर की   फिर भी न जाने अपनी सी लगी।   थी नाराज़गियाँ तेरी बेवज़ह की   जो तुझे मेरी रूह से दूर ले जाने लगी।।   दिल में तूने खिलायी मुहब्बत की कलियाॅ   अब तलक मुरझा गयी अरमानो की डालियाॅ   ज़िन्दगी का साज बनी जो तेरे घर की गलियाँ   पर तूने ही क्यों तोड़ी  मेरे ज़स्बातो की बलिया   रह गयी ज़ेहन में परछाई तेरे अक्स की   वो अपनी फूटी हुई तक़दीर बनने लगी   बदनसीबी मेरे अधूरे मुक़म्मल इश्क की   जो किसी ग़ैर से तेरी शहनाई बजने लगी   मेरी मुफ़लिसी पर तूने उठाये जो सवालियाॅ   उछाली सिर्फ थहाकों की हज़ारो कव्वालिया   यक़ीनो की दीवारों पर मारी चुभती कटारियाँ   इश्क के नाम पर जो खेली बदली सी रंगोंलियाँ   सवाँर दी ज़िन्दगी किसी ग़ैर की   मुझे अब हर महफ़िल वीरान लगी   ज़रूरत थी शायद तुझे अमीरज़्यादो की   जो मेरी मुहब्बत पर भारी पड़ने लगी   अमीरो के साथ तेरी तक़दीर सवरने की   कानों मे गूँजती कहानियाँ बुरी तो न लगी   गलतियाँ भर थी तेरे रूह तक डूबने ...