ज़िन्दगी के चोराँहो पर,Jindagi ke chauraho par
ज़िन्दगी के चोराँहो पर
भटक जाये कभी तू अग़र।
कोन रास्ता है तेरी मंज़िलों का
इस क़श्मकश में टूट जाये अगर।।
सही ग़लत की उलझनो में फसकर
तुझे ज़िन्दगी बोझ लगे अगर।
तो जद्दोजहद से दूर ज़रा होकर
कुछ लम़्हो के लिए ज़रूर ठहर।।
लेट जा ज़मीन को बिछोना बनाकर
नीले आसमाँ को ऑखो से निहारकर।
चंद लम़्हो के लिये पलके बन्द कर
खुद धड़कती आवाज़ो को सुनकर।।
रूह से निकली आगाज़ को महसूस कर
जो तेरे भ्रमो के बादलो को हटा देगी।
तेरी मंज़िलो का रास्ता ज़रूर दिखायेगी
कभी य़कीन मानकर बस ऐसा तो कर।।
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Bahut hi badiya...
जवाब देंहटाएंBadiya
जवाब देंहटाएंVery outstanding
जवाब देंहटाएंIt poetry really give me a relax. Thank u sir
जवाब देंहटाएं❤️ touching
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