तू खुद पर कर इतना यक़ीन कि अंजाम की परवाह से डगमगा न जाये
तू खुद पर कर इतना यक़ीन
कि अंजाम की परवाह से डगमगा न जाये।
जिन्दगी मे आये चाहे कितनी ही दुश्वारियाॅ
कोई भी तूफान तेरी उम्मीदो के दिये बुझा न पाये।
तेरे जेहन मे बची अगर,थोड़ा सी शक की गुंजाइश
तो कही तेरी मंजिल,हाथो से फिसल न जाये
कर न शक अपनी कुव्वतों पर,तुझसे है यही गुजारिश
तोड़कर वहम की दीवारो को,पूरीकर कामयाबी की ख्वाहिश।
तू खुद को कर इतना बुलन्द
कि अकेले ही होसलो से आगे बढ़ता जाये।
जब बने हजारों बाधाये तेरी जिन्दगी की परेशानियाँ
तो तेरे सुलगते आगाज़ को ,कोई भी रोक न पाये।
गमो में सब तुझे छोड़कर,छूट जायेगी सारी महफिल।
तो अकेलेपन के खालीपन में, कही तू टूट न जाये
हर कोई मशगूल है यहाँ बनाने में अपनी ही तकदीर
बन जा खुद का हमसफर, छोड़ ले किसी की उम्मीद।
कि अकेला ही तू बढकर,अपना कारवाँ बना ले
कितनी ही मुश्किल चाहे ,तेरी राह में क्यों न आये
कोई भी तेरीकामयाबी की हसरतो को रोक न पाये।।।।
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Very interesting and inispirable
जवाब देंहटाएंसत्य वचन
जवाब देंहटाएंउम्दा
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