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Pahali Dua,पहली दुवा

 लगे जो तुम्हारे माँथे पर  चाँदनी सा शीतल टीका।  बढे ऐसे चेहरे की रौनक  उजले सूरज जैसी हो दमक।।                               चढे कामयाबी के रंग तुम पर                 जो पहुँचे ज़मी से फ़लक तक।                  फैलता जाये नाम इस तरह से                  खुशबू उड़े जैसे सारे जहाँ तक।। छाँने लगो तुम ऐसे हर दिल पर उमड़ने लगे जैसे कोई राँग गीत पर। सतरंगी राँगो से निखरकर निकले जो वो हर लब्ज़ो का मधुर गीत बन जाओ तुम।।                  कभी न बुझे जो उम्मीद का दिया                   वो अखंड  जलती ज्योति बनो तुम।                   कि खुशियों को ऐसे बिखेरो ज़माने में                   ...

दोहरे मन के ख़्याल,dohre maan ka khayal

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         क्या करे ओर क्या न  करे      के उलझनो के पेचों के बीच      ज़िन्दगी के नाज़ुक लम़्हो में      जब कोई इन्सान फसता है।      बेचैन मन के दो राहों के बीच      दिलों दिमाग बोझिल होता है।      दुविधा के गहरे बादलों के सायों में      उम़्मीद का सूरज ओझल होता है      पल पल चलती दो बातों के बीच      उलझ -उलझकर हताश होता है      करने, न करने के फ़ैसलो में ही      सारा वक़्त बेकार हो जाता है।      दोहरे ख़्यालो के जंजालो के बीच      ध्यान की गहराई में जो उतरता है      छँट जाते हैं सारे दुविधाओं के बादल      तब जीवन का सही फ़ैसला नज़र आता है।       CONTENT IS ORIGINAL WORK OF WRITER}  All right reserved.No part of this content may not copied,reproduce,adapted . In any way print electronic audio video etc medium  Un...

तमन्ना कुछ कर गुज़रने की,Tammna kuch kar Guzarne ki

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    तमन्ना हैै जो कुुछ कर गुुज़रनेे की     तो अगर मगर की बात छोड़िये     तोड़ ले जकड़ती जंजीर बाधाओं की     इस हद तक खुद को पहुँचने दीजिए।     अब खुद पर ही शक करने की     ऐसी फिज़ूल हिमाक़त मत कीजिए     जुरअत कर अपनी कुव्वतो पर     अब खुद से ज़रा वफा तो कीजिए।।       हार जीत के अंज़ामो के तंज़ की     बरखुरदार परवाह दूर तो कीजिए     रंज कर ख़्वाबो को हक़ीकत बनाने की     इस ज़द को ज़ेहन में उतार लीजिए।।।    तक़दीर में हमेशा अँधेरा ढोने की    पलती आदतों को अब फेक दीजिए    तजवीज़-ए-यक़ीन से तुम खुद को    एक उजला सूरज तो बनने दीजिए।।।।    तमन्ना है जो कुछ कर गुजरने की    तो ऐसा भी एक काम कर दीजिए    फक्र हो जमी को तेरे जाने के बाद    ऐसे निशान राहो में छोड़ जाइये ।।।।।    {CONTENT IS ORIGINAL WORK OF WRITER}  All right reserved.No part of this content may not copied,reproduc...

dosti or phyaar ki ulajhanon mein, kuldeep singh negi infatuation shyari

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  {CONTENT IS ORIGINAL WORK OF WRITER}  All right reserved.No part of this content may not copied,reproduce,adapted . In any way print electronic audio video etc medium  Under  copyright act 1957. To see all poetry type Negi ji poetry on google  वैधानिकचेतावनी। इस का किसी भी रूप में  ऑडियो,वीडियो , किसी भी रूप में व्यावसायिक उपयोग हेतु लेखक की अनुमति अनिवार्य है। under copyright act 1957 KULDEEP singh negi confidential we gives a  total  deep poetry shyari  in our content. just express of feeling. whatever happen in life.  deep poetry &shyari  express all aspect of life.some time we happy, some time we sad. thus all expression of life can explore our deep poetry. total  dee p  po e try  shy a ri  purpose to convey all beauty of thought.  total deep poetry  shyari      

बातो ही बातों-बातों में,Bato Hi Bato-Bato mein, By kuldeep singh negi shyari

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    बातों ही बातों-बातों में  वो मुझे अपना जतलाने लगे।  मतलब निकालने के फेर में  धीरे धीरे मुझे अपना बनाने लगे।।  दिलों-दिमाग मे था कुछ और  लब़्जो से कुछ और कहने लगे।  वो पैतरेबाजियो की साजिशो में  मुझे पिटता हुआ मुहरा बनाने लगे।।  अपनी नियत की ही खुरापातो में  मुझे एक रहनुमा वो बताने लगे।  हैसियत की अपनी झूठी तारीफ़ो के  वो खुद ही किस्से उछालने लगे।।  निकला जैसे ही मुझ से मतलब  जनाब मुझे नज़रअंदाज़ करने लगे।  बस ऐसे  ही बातों ही बातों में वो हर दफ़ा मतलब निकालते चले।। {CONTENT IS ORIGINAL WORK OF WRITER}  All right reserved.No part of this content may not copied,reproduce,adapted . In any way print electronic audio video etc medium  Under  copyright act 1957. To see all poetry type Negi ji poetry on google  ये लेखक की अपनी  मौलिक रचना है। इसे किसी भी रूप में इसका किसी भी प्रकार audio,video,print etc माध्यम से या इसके किसी भी भाग को तोड़ मरोड़कर प्रकाशित करने पर   कड़ी...

Kushi gum ka silsila, kuldeep negi shyari

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{CONTENT IS ORIGINAL WORK OF WRITER}  All right reserved.No part of this content may not copied,reproduce,adapted . In any way print electronic audio video etc medium  Under  copyright act 1957. To see all poetry type Negi ji poetry on google.  we gives a  total  deep poetry shyari  in our content. just express of feeling. whatever happen in life.  deep poetry &shyari  express all aspect of life.some time we happy, some time we sad. thus all expression of life can explore our deep poetry. total  dee p  po e try  shy a ri  purpose to convey all beauty of thought.  total deep poetry  shyari          

मुहब्बत अब ज़माने में,Mohabat aab jamnee mein, DECLINE OF PURITY OF LOVE.

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             मुहब्बत अब ज़माने मेंं कैसे होती है?             मोसम के बदलते मिज़ाज सी होती है।             वादे -वफ़ा,इज़हार किसी से होती है            गिला शिकायत किसी और से होती है।।             मुहब्बत अब ज़माने में कैसे होती है?             चटके शीशों के दरारो जैसी होती है            जिस्म पाने भर की ख़्वाहिश होती है             प्यास बुझने पर वो ख़ाक ही होती है            मुहब्बत अब ज़माने में कैसे होती है?            शोहरत दोलत की मोहताज होती है            इश्क की हैसियत से ही दोस्ती होती है           जस्वातो की हालत बहते पानी सी होती है              मुहब्बत अब ज़माने में कैसे होती है?  ...