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दोहरे मन के ख़्याल,dohre maan ka khayal

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         क्या करे ओर क्या न  करे      के उलझनो के पेचों के बीच      ज़िन्दगी के नाज़ुक लम़्हो में      जब कोई इन्सान फसता है।      बेचैन मन के दो राहों के बीच      दिलों दिमाग बोझिल होता है।      दुविधा के गहरे बादलों के सायों में      उम़्मीद का सूरज ओझल होता है      पल पल चलती दो बातों के बीच      उलझ -उलझकर हताश होता है      करने, न करने के फ़ैसलो में ही      सारा वक़्त बेकार हो जाता है।      दोहरे ख़्यालो के जंजालो के बीच      ध्यान की गहराई में जो उतरता है      छँट जाते हैं सारे दुविधाओं के बादल      तब जीवन का सही फ़ैसला नज़र आता है।       CONTENT IS ORIGINAL WORK OF WRITER}  All right reserved.No part of this content may not copied,reproduce,adapted . In any way print electronic audio video etc medium  Un...

तमन्ना कुछ कर गुज़रने की,Tammna kuch kar Guzarne ki

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    तमन्ना हैै जो कुुछ कर गुुज़रनेे की     तो अगर मगर की बात छोड़िये     तोड़ ले जकड़ती जंजीर बाधाओं की     इस हद तक खुद को पहुँचने दीजिए।     अब खुद पर ही शक करने की     ऐसी फिज़ूल हिमाक़त मत कीजिए     जुरअत कर अपनी कुव्वतो पर     अब खुद से ज़रा वफा तो कीजिए।।       हार जीत के अंज़ामो के तंज़ की     बरखुरदार परवाह दूर तो कीजिए     रंज कर ख़्वाबो को हक़ीकत बनाने की     इस ज़द को ज़ेहन में उतार लीजिए।।।    तक़दीर में हमेशा अँधेरा ढोने की    पलती आदतों को अब फेक दीजिए    तजवीज़-ए-यक़ीन से तुम खुद को    एक उजला सूरज तो बनने दीजिए।।।।    तमन्ना है जो कुछ कर गुजरने की    तो ऐसा भी एक काम कर दीजिए    फक्र हो जमी को तेरे जाने के बाद    ऐसे निशान राहो में छोड़ जाइये ।।।।।    {CONTENT IS ORIGINAL WORK OF WRITER}  All right reserved.No part of this content may not copied,reproduc...