इन्सान दोड़ती हाँड़ की मशीन,Aaj insaan dhortee haar ki machine
वक्त अब सुुुुकून पर भारी पड़नेे लगे
इंसान दोड़ती हाड़ की मशीन बनने लगे।
बच्चे अपनी उम्र से ज़्यादा सयाने हुये
इनके सवालों के जवाब बहुत मुश्किल हुये ।।
घरों की चारदीवारों तक लोग सिमटते दिखे
बाल- बच्चे,बीबी तक के दायरो में चिपके रहे।
एक घर,चार-चार टीवी, मोटर, मोबाइल
अब घरों में इन्सान कम,ओजार अधिक हुये।।
दोस्तों कभी जमाने में ऐसे भी दिन हुये
जब पूरे परिवार की भीड़ टिकती थी टीवी तले।
तब एक ही फ़ोन ने हज़ारो सिलसिले सुने।।
विकास की होड़ में सोच के दायरे बदलने लगे
मतलब की डोर से अब रिश्तों के सोदे होने लगे।
शोहरत की कश्मक़श में अहसास रोंदते चले
अब खुद से खुद तक ही जीने के मायने बने।।
सिमटता हुआ इन्सान अब कुयें के मेढक बने
ज़िन्दगी को लगाया मशीन ओजारो के गले
मासूम अहसासो को रोदाँ अपने ही पैरों तले
{CONTENT IS ORIGINAL WORK OF WRITER} All right reserved.No part of this content may not copied,reproduce,adapted . In any way print electronic audio video etc medium
Under copyright act 1957.
To see all poetry type Negi ji poetry on google
ये लेखक की अपनी मौलिक रचना है। इसे किसी भी रूप में इसका किसी भी प्रकार audio,video,print etc माध्यम से या इसके किसी भी भाग को तोड़ मरोड़कर प्रकाशित करने पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जायेगी।
वैधानिकचेतावनी। इस कविता का किसी भी रूप में ऑडियो,वीडियो , किसी भी रूप में व्यावसायिक उपयोग हेतु लेखक की अनुमति अनिवार्य है। under copyright act 1957
KULDEEP singh negi confidential
we gives a total deep poetry shyari in our content. just express of feeling. whatever happen in life. deep poetry­ari express all aspect of life.some time we happy, some time we sad. thus all expression of life can explore our deep poetry. total deep poetry shyari purpose to convey all beauty of thought. total deep poetry shyari
Nice one.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
हटाएंAnuradha Roy........you touch the realism sir, very unique mind
जवाब देंहटाएं