एक रात की बात,Ek Raat ki Baat

रात किसी का ख़्वाब बनाती है
नयी सुबह का आगाज़ बनाती है
इसकी जुस्तजू मे डूबकर करे मेहनत
उसको रातों- रात स्टार बनाती है
दिनभर की कश्मकश के बाद
फ़ुरसत के लम्हो मे सुकून देती है
कुव्वत रखने वालो को उकसाती है
बुझिलो को रात उलझाती भी है
थक-थक कर चूर हुये लोगों की
ऑखों में प्यारी निंदियाॅ लाती है
ये उकसाती है,  सुलझाती है
उलझाती भी है, बहकाती है
छुपी सी ताकत का आभास कराती है
फ़र्क इतने भर का है मेरे दोस्तों 
तुम्हारी इल्तज़ा का उफनता नशा
बेमानी का है या ईमानदारी का
रातों में मेहनत करने वालों को
ये निखरता सा नूर बनाती  है
देखता जो इसमें अंधेरा ही अंधेरा
उनके ख़्वाबो को राख बनाती है
ढूढते जो अंधेरे में उम्मीद के जुगनू
उनको तराशा हुआ हीर बनाती है।

 वैधानिकचेतावनी। इस कविता का किसी भी रूप में  ऑडियो,वीडियो , किसी भी रूप में व्यावसायिक उपयोग हेतु लेखक की अनुमति अनिवार्य है। ये लेखक की मौलिक रचना है। इसे किसी भी रूप में इसका किसी भी प्रकार audio,video,print etc माध्यम से या इसके किसी भी भाग को तोड़ मरोड़कर प्रकाशित करने पर कानूनी कार्रवाई की जायेगी। 
All right reserved.No part of this content may not copied,reproduce,adapted . In any way print electronic audio video etc medium 
Under  copyright act 1957. 




टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

तमन्ना कुछ कर गुज़रने की,Tammna kuch kar Guzarne ki

बातो ही बातों-बातों में,Bato Hi Bato-Bato mein, By kuldeep singh negi shyari

फूलों का मौसम याद मे तेरी